Tuesday, June 12, 2012


यस्यां वृक्षा वानस्पत्या ध्रुवास्तिषठति विशवाहा



पृथिवीं विशवधायसं घृतामचछा वदामसि ॥



भावार्थ - वृक्ष और नाना प्रकार की वनस्पतियाँ सदा स्थिर

विराजती हैं। समस्त पदार्थों और समस्त जगत को धारण

करने वाली उस पृथ्वी की हम स्तुति करते हैं।

Friday, May 25, 2012

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Monday, May 21, 2012

Sunday, April 8, 2012



मेरा परिवार 


पापा कहते पढ़ो- लिखो पुस्तक लाओ पाठ सुनाओ |
माँ कहती है - सीधे बैठो यहाँ न शोर मचाओ |
भैया कहते -यहाँ न आओ भागो जाओ-जाओ |
दादा कहते- आओ बैठो हलवा पूरी खाओ |
दादी कहती- ऊपर आओ, अपनी नई पोएम सुनाओ |