Tuesday, April 26, 2011

क्या सोचता होगा स्टेशन





क्या सोचता होगा स्टेशन ?जब सभी रेलगाड़िया चली हैं जाती।
रह जाता सूना-सूना अपने अकेलेपन के साथ ।
सारे यात्री हो जाते रेलगाड़ी में सवार ,
छोड़ने आए सब चले जाते अपने घर-बार ,
उतरते यात्री नाचते-कूदते चले अपने सामान के साथ ।
फिर आई सुबह तीन बजे की बात वह करता था इंतजार लोगों के शोर का ,
थोड़ी देर बाद ही हो गई शोर की आस एक और छुक- छुक करती उम्मीद पहुंची उसके पास ।
फिर चली रेलगाड़ी लेकर लोगों को अपने साथ ।
नाचते- गाते ,सोते लोग छोड़ गए सूना-सूना स्टेशन ,
वह देखता है फिर किसी रेलगाड़ी के आने की राह।

विभोर